पर्वत की परिभाषा (Definition of mountain) :–
पर्वत उस ऊंची श्रृंखला को कहते हैं, जिसका शिखर क्षेत्र चोटीनुमा तथा पृष्ठ ढाल युक्त व आसपास के क्षेत्र से कम से कम 600 मी. से अधिक ऊंचा हो वह पर्वत कहलाता है।
पर्वतों का महत्व (Importance of mountains)
1. पर्वत शत्रुओं के आक्रमण के समय एक आभेद दीवार की तरह काम करते हैं।
2. पर्वत किसी स्थान की जलवायु पर गहरा प्रभाव डालते हैं यह गर्म व ठंडी हवाओं को आने से रोकती है, इस प्रकार पर्वत मानसूनी हवाओं को रोक कर वर्षा कराती हैं।
3. पर्वतीय ढाल के ऊपर उपयोगी वन पाए जाते हैं जिससे अनेकों उद्योगों को कच्चा माल मिलता है, वनों पर उत्तम चारागाह पाए जाते हैं जिस पर पशु पालन किया जा सकता है।
4.पर्वत अनेक नदियों के उद्गम स्थल होते हैं, नदियों से जल विद्युत तथा यातायात का काम भी किया जा सकता है।
5. पर्वत खनिजों का भंडार होते हैं, जिससे देश में आर्थिक संपन्नता आती है।
6. पर्वतीय प्रदेश अपनी स्वास्थ्य वर्धक जलवायु तथा मनोरम प्रकृति के कारण स्वास्थ्य एवं पर्यटन केंद्र बन जाते हैं। (mountain in hindi) जैसे– मंसूरी, नैनीताल, शिमला तथा डार्जिलिंग।
पर्वत कितने प्रकार के होते हैं (पर्वतों के प्रकार) (Classification of mountain)
- वलित पर्वत (Valley of Mountains)
- ब्लॉक पर्वत (Block mountain)
- ज्वालामुखी पर्वत (Volcanic Mountains)
- अवशिष्ट पर्वत (Residual Mountains)
- वलित पर्वत (Valley of Mountains)
- ब्लॉक पर्वत (Block mountain)
- ज्वालामुखी पर्वत (Volcanic Mountains)
- अवशिष्ट पर्वत (Residual Mountains)
1. वलित पर्वत (Valley of Mountains)– वलित पर्वत किसे कहते हैं: जिन पर्वतों का निर्माण धरातलीय चट्टानों में वलन या मोड़ पड़ने से हुआ है वह वलित पर्वत कहलाते हैं।
उदाहरण – हिमालय, बाल्कन आदि।
विशेषता:—
- वलित पर्वतों की रचना उथले समुद्रों से संबंधित है।
- इन पर्वतों की चट्टानों में समुद्री जीवश्म मिलते हैं इससे स्पष्ट होता है कि इनकी रचना समुद्रों से हुई है।
- यह पर्वत परथदार या अवसादी शैलों उसे निर्मित होती हैं।
उदाहरण – ब्लैक फॉरेस्ट जो कि (जर्मनी) में है, साल्ट रेंज यह (पाकिस्तान) का पर्वत है।
उदाहरण – किलिमंजारो और वेसुवियस, माउंट फूजी की पर्वत।
विशेषताएं :–
- इन पर्वतों का निर्माण लावा के जमने से होता है।
- इनकी रचना स्थल मैदान पठार समुद्र तल पर या कहीं भी हो जाता है।
– अवशिष्ट पर्वत किसे कहते हैं: इन पर्वतों की संरचना अनाच्छादन कारक करते हैं इसलिए इन्हें अनाच्छादित पर्वत भी कहते हैं भू तल पर अनाच्छादन कारक क्रियाशील रहते हैं, कोमल चट्टाने शीघ्र अपर्दीत हो जाती हैं किंतु कठोर चट्टाने अपर्दीत नहीं हो पाती हैं इन्हें ही अवशिष्ट पर्वत कहा जाता है।
उदाहरण – विन्ध्याचल और सतपुडा का पर्वत, नीलगिरी, पारसनाथ,और राजमहल का पर्वत जो कि(भारत) में है।
Greeat
ReplyDeleteApna anubhav Share karne ke liye dhanyawad. Apka din shubh ho!!
DeleteBahut achha Review diye
ReplyDeleteThankyou ❤️❤️
Deletenice
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