बाक्सर युद्ध के कारण एवं परिणाम

 बाक्सर युद्ध का क्या कारण है? 


हमें बाक्सर युद्ध की कारणो को जानने से पहले बॉक्सर युद्ध की घटनाओं को समझना बहुत जरुरी है।

बॉक्सर युद्ध की घटनाएं

नोट :- कुछ पुस्तकों मे यह 23 अक्टूबर दिया है और कुछ पुस्तकों में 22 अक्टूबर है। 
          बॉक्सर का युद्ध 22अक्टूबर 1764 को बॉक्सर के मैदान में युद्ध प्रारंभ हुआ और यह युद्ध सुबह 9:00 बजे प्रारंभ होकर दोपहर 12:00 बजे के पहले ही समाप्त हो गया। इस युद्ध में एक ओर शाहआलम, सिराजुदौला तथा मीरकासीम की सेनाएं थी तथा दूसरी ओर अंग्रेजी सेना थी इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई तथा उन तीनों राजाओं को पराजित होना पड़ा। इस युद्ध में अंग्रेजो के 847 सैनिक मारे गए तथा दूसरे पक्ष के 2000 सैनिक मारे गए मीरकासिम को भागना पड़ा। 12 वर्ष इधर-उधर भटकने के बाद 1777 ई. में उसकी मृत्यु हो गई।

बक्सर के युद्ध के क्या कारण थे

1. मीरकासिम का शासन 1760 से 1763ई. - मीर कासिम, मीरजाफर की तुलना में अधिक योग्य तथा दूरदर्शी नवाब था। क्या अंग्रेजों की वास्तविक उद्देश्य को समझता था उसने संधि कि शर्तों का पालन किया तथा प्रशासन में व्याप्त दोषों को शीघ्र ही दूर करने का प्रयास किया रिक्त राजकोष की पूर्ति के लिए उसने  नये कदम उठाएं।

सैनिक व्यवस्था में सुधार किया नियुक्तियां आदि करते समय उसने योग्यता को अधिक महत्व दिया लेकिन वह समझ गया कि अंग्रेजों का बंगाल में प्रभुत्व रहते उसके प्रशासकीय सुधार व्यर्थ हैं आता उसने बंगाल में अंग्रेजों का प्रभुत्व समाप्त करने का प्रयत्न भी किया। उसका यही प्रयत्न आगे चलकर संघर्ष का कारण बना।

2. मीरकासीम तथा अंग्रेजों के मध्य संघर्ष के कारण- मीरकासिम को अंग्रेजों से यह शिकायत थी कि वे प्रशासन में अनुचित हस्तक्षेप करते थे। वारेन हेस्टिंग्स ने इसे आस्वीकार भी किया था।, कंपनी के कर्मचारी भारतीय व्यापारियों से रिश्वत लेकर उनके माल को अपना माल बताकर चुंगी से मुक्त करा देते थे इससे नवाब की आय में काफी कमी हो गई थी साथ ही वे अपना माल भी भारतीय व्यापारियों के मुकाबले सस्ता बेचते थे।

नवाब चाहता था, कि इस विषय में कंपनी के अधिकारियों से कोई निश्चित समझौता हो जाए लेकिन अंग्रेज इसके लिए तैयार नहीं थे परिणाम स्वरुप मीरकासीम ने 1762 ई. में भारतीय व्यपारियों से भी सारे आंतरिक कर लेना बंद कर दिया इससे अंग्रेज को कोई प्रत्यक्ष नुकसान नहीं था लेकिन उनके विशेष अधिकारों को अवश्य चोट पहुंची थी अतः कलकत्ता कौंसिल ने मीरकासिम से भरतीय व्यपारियों पर पूनः कर लगाने की मांग की। नवाब द्वारा इस मांग को अस्वीकार किया जाना झगड़े का प्रमुख कारण बना अंग्रेजों ने मीरजाफर की भाति ही मीरकासिम को भी नवाब पद से हटाने का निश्चय किया तथा युद्ध की तैयारियां प्रारंभ कर दी।

4. मीरकासिम का अवध के नवाब तथा मुगल सम्राट से समझौता-  पटना से भागकर मीरकासिम अवध के नवाब की शरण में चला गया यही उसकी मुलाकात मुगल सम्राट साहआलम से हुई मीरकासीन ने दोनों से ही बंगाल की नवाबी को पूनः प्राप्त करने के लिए सहायता की याचना की। तीनों शासकों ने अपने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए अंग्रेजो के विरूद्ध संघर्ष करने का निश्चय किया अवध के नवाब सुजाउदौला की दृष्टि मीरकासिम के विशाल को कोष पर थी। जिसे मीरकासिम अपने साथ भागते समय ले आया था वह बिहार प्रांत पर भी अधिकार करना चाहता था इसके लिए वह अंग्रेजों से भी समझौता करने को तैयार था परंतु अंग्रेज इसके लिए तैयार नहीं थे वह मीरकासिम को सहायता देने को तैयार हो गया।
     सरकार और दत्त के अनुसार - "पिछले तीन दशक उसे अवध के नवाब अपने प्रभाव में वृद्धि करने के उद्देश्य से बंगाल की ओर गिद्ध दृष्टि लगाए थे इसी कारण शुजाउदौला द्वारा अपने एक बंधु शासकों उसके से सिंहासन पुनः प्राप्त करने में सहायता करना अपने व्यक्तिगत लाभ की भावना से अधिक था।" मुगल सम्राट का आलम अपनी प्रभु सत्ता पूनः स्थापित करना चाहता था।

बॉक्सर युद्ध के परिणाम तथा महत्व


1. अंग्रेजों की धाक संपूर्ण भारत में स्थापित हो गई अंग्रेजो के दिल्ली विस्तार का मार्ग खुल गया। रेम्जे म्योर के अनुसार-" बॉक्सर विजय ने अंग्रेज सीमा को लगभग इलाहाबाद तक बढ़ा दिया।"

2. अंग्रेजों की सैनिक श्रेष्ठता तथा संगठन की उच्चता सिद्ध हो गए उत्तर भारत के सबसे अधिक शक्तिशाली अवध के नवाब सुजाउदौला की पराजय से अवध पूर्ण रुप से अंग्रेजों के अधीन हो गया।

3. अंग्रेजो की बंगाल और बिहार में स्थित दृढ हो गई बंगाल व बिहार की दीवानी अंग्रेजों को मिली बंगाल के नवाब का अधिकार समाप्त कर दिया गया तथा वह अब नाम मात्र का शासक रह गया। रेम्जे म्योर के अनुसार - "बक्सर की युद्ध ने बंगाल पर कंपनी के शासन को पूर्णता यह लागू कर दिया।"

4. मुगल सम्राट शाहआलम अंग्रेजों पर आश्रित हो गया वह नाम मात्र के अधिकार सुरक्षित रख कर किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार हो गया।

5. आर्थिक दृष्टि से बंगाल व बिहार को अपार छती पहुंची अंग्रेजो ने बंगाल और बिहार का आर्थिक शोषण और तेजी से करने लगी बंगाल वह बिहार के उद्योग धंधों और व्यापार को छति पहुंची।
     मीरजाफर का पुनः नवाब बनाया जाना (1763-1765 ई.) मीरकासिम से युद्ध होने के तुरंत बाद अंग्रेजों ने मीरजाफर को पूनः नवाब घोषित किया उन्होंने मीरजाफर से अनेक महत्वपूर्ण सुविधाएं प्राप्त की। इतिहासकारों ने लिखा है - "अंग्रेज कंपनी के लिए अब नवाब की हुकूमत एक बैंक की तरह हो गई जिससे अंग्रेज कंपनी जरूरत पड़ने पर जितना चाहे उतना रूपया निकाल सकती है।" 

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